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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesन्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में हुए "आतंकवादी" हमले ने जहां द
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न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में हुए “आतंकवादी” हमले ने जहां दुनिया को हैरान और दुखी किया, वहीं एक तस्वीर उस नकारात्मकता में सकारात्मकता की उम्मीद जगा रही है.
ये तस्वीर है देश की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न की. देश में मुस्लिमों और प्रवासियों के ख़िलाफ़ पनप रही नफ़रत के बीच प्रधानमंत्री अर्डर्न ने हमले में मारे गए लोगों के परिवारों से मुलाक़ात की और दुनिया को राजनीति में मानवता का संदेश दिया.
वो मुस्लिम परिवारों के पास हिजाब में पहुंचीं, उन्हें गले लगाया और मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी. उनके चेहरे पर मायूसी थी, आंखें नम.
उनकी इस तस्वीर ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया. ट्विटर पर लोग उन्हें “आतंक के दौर में सकारात्मक राजनीति का चेहरा” बता रहे हैं.
कई लोग दुनिया के दक्षिणपंथी नेताओं को उनसे करुणा और प्रेम का पाठ सीखने की नसीहत दे रहे हैं.
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कामकाजी महिलाओंको संदेश
पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात के बाद प्रधानमंत्री अर्डर्न ने कहा, हम विविधता, करुणा और दया का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह देश उनका घर है, जो हमारे मूल्यों को मानते हैं. यह उन शरणार्थियों का घर है, जिन्हें इसकी ज़रूरत है."
उनके इस बयान के बाद वो एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्ख़ियों में आ गई हैं. इससे पहले वो अंतरराष्ट्रीय सुर्ख़ियों में तब आई थीं, जब उन्होंने पिछले साल अक्तूबर में प्रधानमंत्री रहते हुए अपनी बेटी को जन्म दिया और वो संयुक्त राष्ट्र की बैठक में अपनी बेटी को गोद में लेकर शामिल हुई थीं.
उन्होंने दुनिया भर की कामकाजी महिला को यह संदेश दिया था कि नौकरी और ज़िम्मेदार पद पर रहते हुए भी एक महिला एक मां होने की ज़िम्मेदारी संभाल सकती है.
जुलाई 2017 में अर्डर्न का विपक्षी नेता के रूप में जब पहला दिन था तब वे एक टीवी शो में गई थीं. उस शो की होस्ट ने अर्डर्न से पूछा था कि वे करियर और बच्चे में से पहले क्या चुनेंगीं?
उस समय अर्डर्न ने कहा था, यह एक महिला पर निर्भर करता है कि वह कब बच्चा चाहती है. यह तय नहीं करना चाहिए कि अगर वह नौकरी कर रही है तो उसे प्रेग्नेंट होने का अवसर नहीं मिलेगा."
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इमेज कॉपीरइटGetty Imagesकौन हैं जैसिंडा अर्डर्न
जैसिंडा अर्डर्न अक्टूबर 2017 में न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री बनी थीं. इस साल सितंबर में हुए चुनावों में अर्डर्न की लेबर पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी.
चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया था और उन्होंने न्यूज़ीलैंड फ़र्स्ट पार्टी के नेता विंस्टन पीटर्स के समर्थन से सरकार बनाई थी.
पाकिस्तान की बेनज़ीर भूट्टो के बाद अर्डर्न दुनिया की दूसरी ऐसी प्रधानमंत्री रही हैं, जिन्होंने पद पर रहते हुए बच्चे को जन्म दिया है.
पिछले साल 21 जून को अर्डर्न ने अपनी बेटी नीव को जन्म दिया था. जब वो संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में शामिल होने न्यूयॉर्क गई थीं, तब उनकी बेटी महज चार महीने की थी.
वहां उन्हें कई अनचाही सलाह मिली थीं.
अर्डर्न ने कहा था, मुझे बहुत सारी अनचाही सलाह मिली है. मुझे नहीं मालूम मैं इनका क्या करूंगी. हालांकि मैं सभी सलाह देने वालों को धन्यवाद देना चाहती हूं."
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राजनीति में क़दम
जिस उम्र में आम युवतियां एक अदद नौकरी के सपने देखती हैं, जैसिंडा अर्डर्न उस उम्र में राजनीति में प्रवेश कर गई थीं.
28 साल की उम्र में उन्होंने न्यूज़ीलैंड की संसद में क़दम रखा. किसी ने इस बात की कल्पना तक नहीं की थी कि वो कभी देश की प्रधानमंत्री बन पाएंगी, पर 2008 से उनका क़द पार्टी के भीतर बढ़ता चला गया.
टीनेजर रहते हुए वो देश की लेफ्ट पार्टियों से जुड़ी थीं. वो देश के अंतिम वाम प्रधानमंत्री हेलन क्लार्क के कार्यालय में काम करती थीं. इसके अलावा वो ब्रिटेन में टोनी ब्लेयर की नीति सलाहकार भी रही थीं.
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राजनीति में उन्हें क्या खींचता है, इस पर बात करते हुए कभी अर्डर्न ने कहा था कि भूखे से संघर्ष करते बच्चे और बिना जूते के उनके पांव ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया."
वो अपने चुनावी अभियानों में इन असामनताओं की बात किया करती थीं.
उनकी राजनीति पर नज़र रखने वाले कोलिन जेम्स ने बीबीसी से कहा था, अर्डर्न में आगे बढ़ने की क्षमता थी."
कई लोग उन्हें सिर्फ़ एक ख़ूबसूत महिला के रूप में देखते थे, लेकिन मैंने उनमें एक बुद्धिमान मनुष्य देखा, जो चीज़ों के बारे में गहराई से सोचता है."
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