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एब्स्ट्रैक्ट:ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संसद में अपना बहुमत खो दिया है. ब्रिटेन में ब्रेग्ज़िट को लेक
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संसद में अपना बहुमत खो दिया है.
ब्रिटेन में ब्रेग्ज़िट को लेकर बागी सांसदों और बोरिस जॉनसन के बीच अंतिम मुक़ाबले से पहले सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के सांसद फिलिप ली दल बदल करते हुए लिबरल डेमोक्रेट्स में शामिल हो गए और इसके साथ ही प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संसद में अपना बहुमत खो दिया.
बोरिस जॉनसन जुलाई में ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे.
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जॉनसन के संसद को संबोधित करने के दौरान ही सांसद फिलिप ली उठ कर विपक्ष में जा बैठे
जब बोरिस जॉनसन संसद को संबोधित ही कर रहे थे, उसी दौरान ब्रेकनेल से सांसद फिलिप ली उठ कर विपक्षी खेमे में जा बैठे.
ली के दलबदल करने का मतलब है कि जॉनसन के पास संसद का कामकाज चलाने का बहुमत ख़त्म हो गया है.
ली ने कहा कि सरकार अप्रत्याशित तरीकों से ब्रेग्ज़िट को नुकसान पहुंचा कर लोगों की जान और आजीविका दोनों को ख़तरे में डाल रही है.
संसद में बोरिस जॉनसन ने सांसदों से कहा कि वे यूरोपीय संघ से बातचीत के जरिए बाहर निकलना चाहते थे और यह वार्ता अपनी वास्तविक गति से चल रही थी.
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सांसद फिलिप ली
सांसद फिलिप ली के दलबदल के बाद अब 650 सदस्यीय ब्रिटिश संसद में कंजरवेटिव पार्टी के 309 और डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी के 10 सदस्यों को मिलाकर बोरिस जॉनसन के पास 319 सांसदों का समर्थन हो गया है जबकि विपक्षी दलों के 320 सदस्य हो गए हैं.
फिलिप ली ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि, “दुख की बात है कि ब्रेग्ज़िट पर विभाजन ने इस महान पार्टी को एक संकीर्ण विचारधारा वाली पार्टी में बदल दिया है, यह कितनी रूढ़िवादी है यह इससे ही समझा जा सकता है कि यह कितनी लापरवाही से यूरोपीय संघ से निकलना चाहती है.”
“शायद यह और भी निराशाजनक है कि पार्टी इंग्लिश राष्ट्रवाद और लोकप्रियता के दो रोगों से संक्रमित हो गई है.”
बीते महीने ही प्रधानमंत्री जॉनसन ने संसद को निलंबित कर दिया था. विपक्ष के वरिष्ठ सासंदों ने जब उसे अवैध बताया तो जॉनसन ने कहा था कि वे नया क़ानून लाना चाहते हैं, इसलिए ऐसा कर रहे हैं.
अब जबकि यह उम्मीद जताई जा रही थी कि 10 सितंबर को संसद निलंबित हो जाएगी और 14 अक्तूबर तक बहाल नहीं होगी. इसी दौरान ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलना था.
गौरतलब है कि ब्रिटेन में ब्रेग्ज़िट के समर्थन और विरोध का दौर चल रहा है. जो इसका विरोध कर रहे हैं वो इसे आपदा बताते हैं और कहते हैं कि संसद को निलंबित करने से ब्रिटिश लोकतंत्र को क्षति पहुँचेगी.
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वहीं जो यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलना चाहते हैं उन्हें लगता है कि सांसद नो ब्रेग्ज़िट डील के ज़रिए ब्रिटिश नागरिकों की राय की उपेक्षा कर रहे हैं.
गौरतलब है कि 2016 में ब्रिटेन में 52 फ़ीसदी लोगों ने ब्रेग्ज़िट का समर्थन किया था और 48 फ़ीसदी लोगों ने इसका विरोध किया था.
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