简体中文
繁體中文
English
Pусский
日本語
ภาษาไทย
Tiếng Việt
Bahasa Indonesia
Español
हिन्दी
Filippiiniläinen
Français
Deutsch
Português
Türkçe
한국어
العربية
एब्स्ट्रैक्ट:BBC News, हिंदीसामग्री को स्किप करेंसेक्शनहोम पेजकोरोनावायरसभारतविदेशमनोरंजनखेलविज्ञान-टेक्नॉलॉजीसोश
BBC News, हिंदीसामग्री को स्किप करेंसेक्शनहोम पेजकोरोनावायरसभारतविदेशमनोरंजनखेलविज्ञान-टेक्नॉलॉजीसोशलवीडियोहोम पेजकोरोनावायरसभारतविदेशमनोरंजनखेलविज्ञान-टेक्नॉलॉजीसोशलवीडियोकिसान आंदोलन: सरकार के दो माँगें मानने पर बोले किसान- लंगर के खाने के नमक का कुछ हक़ अदा किया31 दिसंबर 2020, 00:02 ISTअपडेटेड एक घंटा पहलेकेंद्र सरकार और कृषि क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच बुधवार यानी 30 दिसंबर को छठे चरण की बातचीत हुई. बैठक में सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद थे. किसानों के साथ हुई बैठक के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि - बहुत ही अच्छे माहौल में आज की बातचीत हुई और चार मामलों में से दो मामलों में सरकार और किसानों के बीच सहमति बन गई है.बिजली क़ानून और पराली जलाने को लेकर जुर्माने के मामले में सरकार और किसानों के बीच सहमति बन गई है लेकिन जो दो सबसे अहम मुद्दे हैं यानी तीनों कृषि क़ानूनों की वापसी और एमएसपी की क़ानूनी गारंटी उस पर अभी भी दोनों पक्षों के बीच गतिरोध जारी है.दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे अलग-अलग राज्यों के किसान संगठन अब तक तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की माँग पर अड़े हुए हैं. जबकि केंद्र सरकार यह कह चुकी है कि वो क़ानून वापस नहीं लेगी.सरकार और किसान नेताओं के बीच अगली बैठक चार जनवरी को होगी.छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ेंऔर ये भी पढ़ेंकिसान आंदोलन: क्या सरकार और किसानों के बीच सुलह का कोई ‘फ़ॉर्मूला’ है?किसान आंदोलन: क्या सरकार और किसानों के बीच सुलह हो सकती है?मोदी अच्छे वक्ता, पर किसानों तक बात पहुँचाने में नाकाम रहेः गुरचरण दासकिसान आंदोलन: छठे दौर की बातचीत ख़त्म, चार में से दो मामलों पर बनी सहमति-कृषि मंत्रीसमाप्तविज्ञान भवन में हुई बैठक के बाद सिंघु बॉर्डर वापस लौट रहे किसान प्रतिनिधियों से बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा ने बात की और जानना चाहा कि इस बैठक के बाद किसान क्या सोचते हैं और उनकी आगे की रणनीति क्या होगी.किसान नेता रजिंदर सिंह दीपसिंहवाला ने कहा कि आज की बैठक एक अच्छे माहौल में हुई.उन्होंने कहा, “सरकार से हमारी चार प्रमुख मांगे थीं जिनमें से दो मांगे सरकार ने मान ली हैं. एक तो इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020, सरकार उसे वापस लेने जा रही है. इस बिल के साथ लाखों किसानों को ट्यूबवेल के लिए जो मुफ़्त बिजली मिलती थी, वो छिन सकती थी लेकिन अब वो मुफ़्त जारी रहेगी. दूसरा पराली प्रदूषण के नाम पर किसानों पर जो करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान लाया गया था, सरकार उसे भी वापस लेने जा रही है. सरकार ने किसानों पर जो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की बात कही थी, वो भी अब टल जाएगी. बाकी मांगें जोकि हमारी मांगों की वरीयता सूची में पहली और दूसरी मांग है जिसमें कृषि कानूनों को रद्द करना और एमएसपी को लीगल राइट बनाने का मामला है, उस पर चार जनवरी को बैठक होनी है.”किसान प्रतिनिधि रजिंदर सिंह ने कहा, “सरकार बैकफ़ुट पर है और इसलिए वो पूरी उम्मीद करते हैं कि आने वाला नया साल देश के किसानों और किसान मूवमेंट के लिए अच्छा साल होगा और हम खेती-कानूनों को निरस्त कराने में सफल रहेंगे.”तो क्या सरकार के रवैये में नरमी आयी है?किसान नेता रजिंदर सिंह दीपसिंहवाला ने कहा कि बिल्कुल इस बार सरकार ने लचीलापन दिखाया है. उन्होंने आज हुई बैठक के संदर्भ में कहा, “आज छठी बैठक थी कृषि मंत्री के साथ और इससे पहले हुई पांच बैठकों में ये बेहतर बैठक हुई. हम जो लंगर का खाना लेकर गए थे उसी लंगर के खाने में से उन्होंने भी खाना खाया और लंगर का खाना खाकर उन्होंने आज नमक का कुछ हक़ भी अदा किया. आज उन्होंने लंगर का नमक खाकर नमक का कुछ हक़ भी अदा किया और दो मांगें मान ली हैं. हम चार तारीख़ को फिर लंगर का खाना खिलाएंगे और उनसे कहेंगे कि कि इस देश का और गुरू घर के लंगर के नमक का पूरा हक़ अदा कीजिए.”किसान नेता ने कहा कि चार तारीख़ की बैठक में वे स्पष्ट तौर पर कृषि क़ानूनों को निरस्त करने की बात करेंगे. उन्होंने दावा किया कि सरकार पीछे हट रही है और इसकी वजह सिर्फ़ यह कि यह आंदोलन अब काफी बड़ा हो चुका है. उन्होंने बिहार के पटना में, तमिलनाडु में और हैदराबाद में हुई रैलियों का ज़िक्र भी किया. उन्होंने विदेशों में बसे और रह रहे एनआरआई के सहयोग का भी ज़िक्र किया और कहा कि वे भी इस आंदोलन के समर्थन में हैं और यही वजह है कि सरकार पर दबाव बना है और वो पीछे लौट रही है.हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आंदोलन अभी भी शांतिपूर्ण तरीक़े से जारी रहेगा. लेकिन सरकार तो साफ़ कह रही है कि वो तीन कृषि क़ानूनों को निरस्त नहीं करेगी. इस पर बात कहां तक पहुंची? किसान प्रतिनिधि ने बताया कि वे शुरू से ही स्पष्ट कह चुके हैं कि वे कृषि क़ानून को वापस लेने के मुद्दे पर बने हुए हैं. यहां तक की छठी बैठक से पहले भी यह स्पष्ट बता दिया गया था कि मुद्दे वही रहेंगे.किसान नेता रजिंदर सिंह ने कहा, “सरकार ने पूछा था कि आप किन मुद्दों पर बात करना चाहते हैं तो हमने लिखकर बताया था कि तीन क़ानून को निरस्त करने के लिए क्या क़दम लेने हैं. इसके लिए हमने अपने लीगल एक्सपर्ट से बात की थी. और अब सरकार भी बात करेगी और वे अपनी तैयारी के साथ आएंगे. चार तारीख़ को जो बात होनी है वो इस बात पर होनी है कि क़ानून को वापस लेने के लिए कौन सी प्रक्रिया अपनायी जाएगी. यही एजेंडा होगा इस बैठक का. इसके अलावा एमएसपी पर भी कैसे क़ानून बनाना है यह भी एजेंडा रहेगा, चार तारीख़ की बैठक का.”जियो के टावर उखाड़ने की बातें सामने आयी हैं और टोल-फ्री कराने की भी...क्या ये अराजकता के संकेत नहीं? किसान नेता रजिंदर सिंह ने कहा कि मैं इस अराजकता नहीं, लोगों का गुस्सा कहूंगा. उन्होंने कहा, “बीते सात सालों से जिस तरह से अलोकतांत्रिक तरीक़े से सरकार चल रही है कि किसी की भी बात नहीं सुनी गई. वो चाहे अचानक से हुई नोटबंदी हो, जीएसटी हो, कश्मीर हो या फिर गौ-रक्षा का मामला..कभी लोगों की सुनी नहीं गई. लोगों में गुस्सा था लेकिन उनकी सुनी नहीं गई.अब भी इन कृषि क़ाननों पर भी सरकार नहीं सुन रही थी और इसीलिए लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा था. यह अराजकता नहीं, लोगों का गुस्सा है.”नए साल पर क्या करेंगे किसान? नए साल पर देश के सभी लोगों से अपील की गई है कि दिल्ली के हर मोर्चे पर जहां भी आंदोलन हो रहा है, वहां वे आएं. किसान तो अपने घर नहीं जा रहे, ऐसे में सभी लोगों से अपील है कि वे साथ आएं.गतिरोध की वजह समझी जा सकी? किसानों ने सरकार की बात समझी या सरकार न किसानों की ? इस सवाल के जवाब में किसान नेता रजिंदर सिंह ने कहा कि सरकार पहले दिन से ही हमारी बात समझ चुकी थी लेकिन वो बात नहीं मान रहे थे. उन्होंने राजनाथ सिंह के दो दिन पुराने बयान पर टिप्पणी देते हुए कहा, “राजनाथ सिंह जी कह रहे थे कि इन कृषि क़ानूनों को दो साल के लिए देख लीजिए. अगर ठीक नहीं लगेगा तो हम संशोधन कर देंगे लेकिन हम यह कह रहे हैं कि जो आप इन क़ानूनों में लेकर आए हैं वो इस देश के किसान पहले से ही झेल रहे हैं. प्राइवेट मंडी की बात की जाती है. पंजाब और हरियाणा के अलावा देश के सभी राज्यों में प्राइवेट मंडी है तो वहां तो किसानों को कोई फ़ायदा नहीं हुआ है.”किसान नेता स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि उन्होंने सरकार को बहुत अच्छे से अपनी बात समझा दी है और चार तारीख़ को वे इसे मनवा भी लेंगे.तो क्या गतिरोध के बंद रास्ते खुल रहे हैं? किसान यूनियन के दर्शन पाल मानते हैं कि सरकार ने आज जिस तरह दो मांगों के लिए हामी भरी है, उससे एक सकारात्मक माहौल बना है. उन्होंने कहा, “हमारी दो मांगों को सरकार ने जिस तरह तुरंत मान लिया वो हमारे आंदोलन की 25 से 30 फ़ीसदी जीत है लेकिन मुख्य मुद्दे अब भी है. सरकार ने आज लचीला व्यवहार दिखाया लेकिन तीन क़ानूनों को लेकर वो अभी भी अड़ी हुई है. एमएसपी पर भी वो कमेटी बनाने की बात कर रहे हैं.”दर्शन पाल मानते हैं कि जो सरकार अब तक कुछ सुन नहीं रही थी, उसके बाद आज का दिन और फ़ैसला... ऐसे में कहीं ना कहीं बात आगे बढ़ी है.तो अब आंदोलन का भविष्य क्या होगा?दर्शन पाल ने बताया कि आंदोलन अभी भी जारी रहेगा. उन्होंने कहा, “हर रोज़ सैकड़ों हज़ारों की संख्या में लोग आंदोलन से जुड़ रहे हैं. इसी वजह से सरकार पर दबाव बना है.”बीजेपी सरकार के भीतर किसानों के समर्थन में उठ रही आवाज़ों का ज़िक्र करते हुए कहा कि “सरकार को इस संबंध में सोचना चाहिए.”इमेज स्रोत, AKIB ALI/HINDUSTAN TIMES VIA GETTY IMAGESदिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन अहिंसक ही बना रहे, इसके लिए क्या किया जा रहा है?किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि -आंदोलन को चलते एक महीने से अधिक समय हो चुका है. हमने इस आंदोलन को डेमोक्रेटिक नेतृत्व के तहत चलाया है. हर किसी से पूछकर फ़ैसले लिए गए हैं. हमें जहां भी कुछ गड़बड़ समझ आती है, हम वहां लोगों को समझाते हैं.उन्होंने कहा, “आंदोलन में सिर्फ़ किसान नहीं हैं. कई लोग ऐसे हैं जो सिर्फ़ मदद के लिए है. सबको अनुशासन में रखना, यही इस आंदोलन की खूबी है और रहेगी और इसी वजह से लोग हर रोज़ इससे जुड़ रहे हैं.”क्या किसान सरकार के फ़ैसले (कृषि कानून ना रद्द करने) के प्रति नरमी बरतेंगे?किसान नेता दर्शन पाल कहते हैं “यह एक ऐसा सवाल है जिस पर कोई समझौता नहीं हो सकता है. सारी लड़ाई इन कृषि क़ानूनों को लेकर ही शुरू हुई. हम इस पर नरमी नहीं बरतेंगे. हम आंदोलन को लेकर नरमी बरतेंगे.”(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)संबंधित समाचारकिसान आंदोलन: छठे दौर की बातचीत ख़त्म, चार में से दो मामलों पर बनी सहमति-कृषि मंत्री30 दिसंबर 2020कृषि क़ानून: क्या हैं प्रावधान, क्यों हो रहा है विरोध30 दिसंबर 2020टॉप स्टोरीकिसान आंदोलन: सरकार के दो माँगें मानने पर बोले किसान- लंगर के खाने के नमक का कुछ हक़ अदा कियाएक घंटा पहलेपाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में हिंदू संत की समाधि पर भीड़ का हमला4 घंटे पहलेलाइव श्रीनगर: मुठभेड़ पर परिजनों ने उठाए सवालज़रूर पढ़ेंआज का कार्टून: यूके वाले अंकल7 घंटे पहलेनीतीश ने अपने ही नंबर 2 को राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों बनाया27 दिसंबर 2020गौतम नवलखा को चश्मा और स्टेन स्वामी को स्ट्रॉ नहीं देने के मायने 28 दिसंबर 2020आज का कार्टून: लाइट, कैमरा, साउंड...29 दिसंबर 2020गांगुली और राज्यपाल की मुलाक़ात से गरमाई राजनीति28 दिसंबर 2020पत्नी को सालगिरह के तोहफ़े के रूप में चाँद पर तीन एकड़ ज़मीन देने का दावा29 दिसंबर 2020चीन से LAC पर तनाव को लेकर नहीं हो पा रही बात, आगे क्या? 29 दिसंबर 2020गेम ऑफ़ थ्रोन्स पर गेम बनाने वाले चीनी टाइकून की ज़हर देकर हत्या28 दिसंबर 2020किसान आंदोलन: इतिहास दोहराता हरियाणा का एक गांव26 दिसंबर 2020सबसे अधिक पढ़ी गईं1नवाब मंसूर अली ख़ान पटौदी की बारात जब शर्मिला टेगौर के घर पहुँची2किसान आंदोलन: सरकार के दो माँगें मानने पर बोले किसान- लंगर के खाने के नमक का कुछ हक़ अदा किया3पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में हिंदू संत की समाधि पर भीड़ का हमला4गोबर उठाने से जज बनने तक का सफ़र5सद्दाम हुसैन को जब फांसी दिए जाने पर रोए थे अमेरिकी सैनिक6केरल में जल कर मरने वाले दलित परिवार का पूरा मामला7पत्नी को सालगिरह के तोहफ़े के रूप में चाँद पर तीन एकड़ ज़मीन देने का दावा8यूपी में योगी सरकार पर पूर्व नौकरशाहों ने लगाए नफ़रत फैलाने के आरोप, भाजपा का पलटवार9KBC 12 में करोड़पति बनने वाली नाज़िया नसीम10किसान आंदोलन: छठे दौर की बातचीत ख़त्म, चार में से दो मामलों पर बनी सहमति-कृषि मंत्रीBBC News, हिंदीआप बीबीसी पर क्यों भरोसा कर सकते हैंइस्तेमाल की शर्तेंबीबीसी के बारे मेंनिजता की नीतिकुकीज़बीबीसी से संपर्क करेंAdChoices / Do Not Sell My Info© 2020 BBC. बाहरी साइटों की सामग्री के लिए बीबीसी ज़िम्मेदार नहीं है. बाहरी साइटों का लिंक देने की हमारी नीति के बारे में पढ़ें.
अस्वीकरण:
इस लेख में विचार केवल लेखक के व्यक्तिगत विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस मंच के लिए निवेश सलाह का गठन नहीं करते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म लेख जानकारी की सटीकता, पूर्णता और समयबद्धता की गारंटी नहीं देता है, न ही यह लेख जानकारी के उपयोग या निर्भरता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है।